फरीदाबाद। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यशपाल यादव ने बताया कि इस बार टाउन में दशहरा नहीं मनाया जाएगा।
Dussehra will not celebrates in Faridabad Town, DM Yashpal orders
Faridabad. District Magistrate Yashpal Yadav said that Dussehra will not be celebrated in the town this time.
एनआईटी बसने के साथ यहां दशहरा बड़े पैमाने पर मनाना शुरू हुआ था।
यहां वर्तमान पाकिस्तान और तत्कालीन भारत से आए शरणार्थियों में दशहरे का खास क्रेज है।
मैसूर और कुल्लू के दशहरे की तरह बन्नू शहर के दशहरे का आंचलिक स्तर पर खासा मशहूर हुआ करता था।
जब यहां शरणार्थी आए, तो उन्होंने बीके अस्पताल के पास दशहरा मैदान में दशहरा मनाना शुरू किया।
पूर्व मंत्री दीप चंद भाटिया के समय में यहां दहशरा से पहले खुशरंग दशहरा कार्यक्रम भी होता था, जिसमें कव्वाली कंपटीशन होता था।
दीप चंद भाटिया के देवलोकगमन के पश्चात खुशरंग दशहरा मनाने के सभी प्रयास निष्फल हो गए।
फिर यहां के दशहरे पर राजनीति हावी हो गई।
एक नंबर का हनुमान मंदिर संस्थान शुरुआत से मुख्य कार्यक्रम आयोजनकर्ता रहा।
समय के साथ अन्य धार्मिक संस्थान भी इसके सह आयोजक बने।
जब सर्व धार्मिक एवं सामाजिक संगठन की एंट्री हुई, तो शरणार्थियों में मूंछों की लड़ाई बढ़ गई और हर साल रंग में भंग पड़ने लगा।
एक बार तो विवाद के चलते सूबे के मुख्यिा मनोहर लाल को यहां विवाद शांत करने के लिए मुख्य अतिथि बनना पड़ा।
इस दशहरा में उस समय दो हंसों का जोड़ा बिछुड़ गया, जब विधायक सीमा त्रिखा के लिए केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अड़ गए और उनकी तत्कालीन मंत्री विपुल गोयल की स्टेज पर ही जबरदस्त भिड़ंत हो गई।
इस बार भी दशहर के आयोजन के लिए संस्थाओं ने पेशबंदी शुरू कर दी थी।
बिसात पर मोहरे फिट किए जा रहे थे।
प्रशासन भी दशहरे की इस राजनीति से आजिज आ चुका है।
सूत्रों के अनुसार इसीलिए प्रशासन ने इस बार का दशहरा आयोजन कारोना काल के चलते रद्द करने का निर्णय लिया है।
इस बार का एनआईटी में दशहरा न मनाने के आदेश हुए हैं। हिंट न्यूज की इस सूचना की डीएम यशपाल ने पुष्टि की है कि कोरोना के चलते दशहरा नहीं मनेगा।